नाहं न यज्ञो न च यूयमन्ये
ये देहभाजो मुनयश्च तत्त्वम् ।
विदु: प्रमाणं बलवीर्ययोर्वा
यस्यात्मतन्त्रस्य क उपायं विधित्सेत् ॥ ७ ॥
अनुवाद
ब्रह्मा जी ने कहा कि न तो वे स्वयं, न ही इन्द्रदेव, न ही इस यज्ञस्थल में मौजूद सभी सदस्य और न ही समस्त मुनिगण यह जान सकते हैं कि भगवान शिव कितने शक्तिशाली हैं। ऐसे में कौन ऐसा होगा जो उनके चरणकमलों का अनादर करने का दुस्साहस करेगा?