श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  4.6.7 
 
 
नाहं न यज्ञो न च यूयमन्ये
ये देहभाजो मुनयश्च तत्त्वम् ।
विदु: प्रमाणं बलवीर्ययोर्वा
यस्यात्मतन्त्रस्य क उपायं विधित्सेत् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मा जी ने कहा कि न तो वे स्वयं, न ही इन्द्रदेव, न ही इस यज्ञस्थल में मौजूद सभी सदस्य और न ही समस्त मुनिगण यह जान सकते हैं कि भगवान शिव कितने शक्तिशाली हैं। ऐसे में कौन ऐसा होगा जो उनके चरणकमलों का अनादर करने का दुस्साहस करेगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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