श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  4.6.42 
 
 
ब्रह्मोवाच
जाने त्वामीशं विश्वस्य जगतो योनिबीजयो: ।
शक्ते: शिवस्य च परं यत्तद्ब्रह्म निरन्तरम् ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मा ने कहा: हे महेश्वर जी, मुझे पता है कि आप सारे भौतिक जगत के नियंत्रक हैं, दृश्य जगत के माता-पिता और दृश्य जगत से परे परब्रह्म भी हैं। मैं आपको इसी स्वरूप में जानता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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