श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  4.6.39 
 
 
तं ब्रह्मनिर्वाणसमाधिमाश्रितं
व्युपाश्रितं गिरिशं योगकक्षाम् ।
सलोकपाला मुनयो मनूनाम्
आद्यं मनुं प्राञ्जलय: प्रणेमु: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  सभी मुनियों और इन्द्र आदि देवताओं ने हाथ जोड़कर शिवजी को आदरांजलि अर्पित की। शिवजी ने भगवा वस्त्र धारण कर रखा था और ध्यानस्थ थे जिससे वे समस्त साधुओं में सर्वश्रेष्ठ प्रतीत हो रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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