वनकुञ्जरसङ्घृष्टहरिचन्दनवायुना ।
अधि पुण्यजनस्त्रीणां मुहुरुन्मथयन्मन: ॥ ३० ॥
अनुवाद
ऐसा वातावरण वन में रहने वाले हाथियों को विचलित कर रहा था, जो चंदन के जंगल में झुंडों में एकत्रित हुए थे। बहती हुई हवा वहाँ की अप्सराओं के मन को और अधिक काम-वासना के लिए उत्तेजित कर रही थी।