ययोस्तत्स्नानविभ्रष्टनवकुङ्कुमपिञ्जरम् ।
वितृषोऽपि पिबन्त्यम्भ: पाययन्तो गजा गजी: ॥ २६ ॥
अनुवाद
स्वर्गलोक की सुंदरियों के जल में स्नान करने से जल उनके शरीर के कुंकुम के कारण पीला और सुगंधित हो जाता है। इसीलिए वहाँ स्नान करने के लिए हाथी अपनी पत्नी हथिनियों के साथ आते हैं, और प्यास न होने पर भी जल पीते हैं।