श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  4.6.24 
 
 
नन्दा चालकनन्दा च सरितौ बाह्यत: पुर: ।
तीर्थपादपदाम्भोजरजसातीव पावने ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  उन्होंने नंदा और अलकनंदा नाम की दो नदियाँ भी देखीं। ये दोनों नदियाँ भगवान गोविंद के चरण कमलों की धूल से पवित्र हो चुकी हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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