श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  4.6.19-20 
 
 
कुमुदोत्पलकह्लारशतपत्रवनर्द्धिभि: ।
नलिनीषु कलं कूजत्खगवृन्दोपशोभितम् ॥ १९ ॥
मृगै: शाखामृगै: क्रोडैर्मृगेन्द्रैर्ऋ क्षशल्यकै: ।
गवयै: शरभैर्व्याघ्रै रुरुभिर्महिषादिभि: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  कुमुद, उत्पल और शतपत्र जैसे विभिन्न प्रकार के कमल के फूल हैं। वन एक सजाए गए बगीचे जैसा लगता है और छोटी झीलें विभिन्न प्रकार के पक्षियों से भरी पड़ी हैं जो बहुत मधुरता से चहचहाते हैं। हिरण, बंदर, सूअर, शेर, भालू, साही, नीलगाय, जंगली गधे, चीते, छोटे हिरण, भैंस और कई अन्य जानवर भी हैं, जो अपने जीवन का पूरा आनंद ले रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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