मयूरकेकाभिरुतं मदान्धालिविमूर्च्छितम् ।
प्लावितै रक्तकण्ठानां कूजितैश्च पतत्त्रिणाम् ॥ १२ ॥
अनुवाद
कैलास पर्वत पर हमेशा मोरों की मधुर ध्वनि और भौंरों के गुंजार की आवाज़ गूंजती रहती है। कोयलें हमेशा कूकती रहती हैं और अन्य पक्षी आपस में चहचहाते रहते हैं।