श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  4.6.11 
 
 
नानामलप्रस्रवणैर्नानाकन्दरसानुभि: ।
रमणं विहरन्तीनां रमणै: सिद्धयोषिताम् ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  वहाँ बहुत सारे झरने हैं और पहाड़ों में बहुत सी खूबसूरत गुफाएँ हैं जहाँ पर योगियों की बेहद सुंदर पत्नियाँ रहती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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