श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 6: ब्रह्मा द्वारा शिवजी को मनाना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  4.6.10 
 
 
नानामणिमयै: श‍ृङ्गैर्नानाधातुविचित्रितै: ।
नानाद्रुमलतागुल्मैर्नानामृगगणावृतै: ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  कैलास सभी प्रकार के बहुमूल्य रत्न और खनिजों से भरे पहाड़ों से भरा हुआ है और सभी प्रकार के मूल्यवान पेड़ों और पौधों से घिरा हुआ है। पहाड़ों की चोटियों को विभिन्न प्रकार के हिरणों द्वारा सुशोभित किया गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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