वाता न वान्ति न हि सन्ति दस्यव:
प्राचीनबर्हिर्जीवति होग्रदण्ड: ।
गावो न काल्यन्त इदं कुतो रजो
लोकोऽधुना किं प्रलयाय कल्पते ॥ ८ ॥
अनुवाद
आँधी और धूल भरी हवा की उत्पत्ति को लेकर अंदाज़ा लगाते हुए उन्होंने कहा : न तेज़ हवाएँ चल रही हैं और न ही गायें जा रही हैं, और न ही यह संभव है कि लुटेरों ने ही यह धूल उठाई हो, क्योंकि बहादुर राजा बर्हि अभी भी है, जो उन्हें दंड देगा। फिर यह धूल भरी आँधी कहाँ से आ रही है? क्या पृथ्वी का विनाश अब होने वाला है?