शस्त्रैरस्त्रान्वितैरेवमनिर्भिन्नत्वचं हर: ।
विस्मयं परमापन्नो दध्यौ पशुपतिश्चिरम् ॥ २३ ॥
अनुवाद
मन्त्रों तथा हथियारों की शक्ति से उसने दक्ष का सिर काटना चाहा, परन्तु दक्ष के सिर की चमड़ी तक काटना भी असंभव हो रहा था। इस प्रकार वीरभद्र अत्यधिक विस्मित हो गया।