श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 5: दक्ष के यज्ञ का विध्वंस  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  4.5.14 
 
 
केचिद्बभञ्जु: प्राग्वंशं पत्नीशालां तथापरे ।
सद आग्नीध्रशालां च तद्विहारं महानसम् ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  कुछ सैनिकों ने यज्ञ-पंडाल को संभालने वाले खंभों को गिरा दिया, कुछ स्त्रियों के कक्ष में घुस गए, कुछ ने यज्ञस्थल को तहस-नहस करना शुरू कर दिया और कुछ ने रसोई घर और रहने वाले कमरों में घुसकर उपद्रव मचा दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.