वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 31: प्रचेताओं को नारद का उपदेश
»
श्लोक 7
श्लोक
4.31.7
तन्न: प्रद्योतयाध्यात्मज्ञानं तत्त्वार्थदर्शनम् ।
येनाञ्जसा तरिष्यामो दुस्तरं भवसागरम् ॥ ७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे स्वामी, हमें दिव्य ज्ञान दीजिए जो उस प्रकाश स्तंभ की तरह कार्य करे जिससे हम अज्ञानता के अंधेरे से भरे भौतिक अस्तित्व के सागर को पार कर सकें।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.