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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 31: प्रचेताओं को नारद का उपदेश
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श्लोक 19
श्लोक
4.31.19
दयया सर्वभूतेषु सन्तुष्ट्या येन केन वा ।
सर्वेन्द्रियोपशान्त्या च तुष्यत्याशु जनार्दन: ॥ १९ ॥
अनुवाद
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सभी जीवों पर दया करके, किसी भी तरह से सन्तुष्ट रहकर, और इन्द्रियों को वश में करके, मनुष्य भगवान् जनार्दन को शीघ्र प्रसन्न कर सकता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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