ते च ब्रह्मण आदेशान्मारिषामुपयेमिरे ।
यस्यां महदवज्ञानादजन्यजनयोनिज: ॥ ४८ ॥
अनुवाद
ब्रह्माजी के आदेश से सभी प्रचेता उस लड़की को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस कन्या का नाम मारीषा था। जब दक्ष को पता नहीं था की मारीषा ब्रह्माजी की पुत्री हैं, तब भी उसने मारीषा का अनादर किया। फिर ब्रह्माजी के आदेश के अनुसार, दक्ष को मारीषा के गर्भ से जन्म लेना पड़ा। जैसे ही दक्ष को जन्म हुआ, उसे मरना पड़ा और एक बार फिर उसने जन्म लिया।