वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 30: प्रचेताओं के कार्यकलाप
»
श्लोक 47
श्लोक
4.30.47
तत्रावशिष्टा ये वृक्षा भीता दुहितरं तदा ।
उज्जह्रुस्ते प्रचेतोभ्य उपदिष्टा: स्वयम्भुवा ॥ ४७ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
प्रचेताओं के भय से शेष बचे वृक्षों ने ब्रह्मा की सलाह पर तुरंत अपनी पुत्री को लाकर उन्हें दे दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.