हे स्वामी, जब तक हम सांसारिक कलंक से दूषित इस नश्वर संसार में रहकर विवश हैं और एक शरीर से दूसरे शरीर में, एक ग्रह से दूसरे ग्रह में भटक रहे हैं, हमारी प्रार्थना है कि हम उन सत्पुरुषों की संगति में पधार सकें जो आपके लीलाओं का चर्चा करते रहते हैं। हम जन्म-जन्म, शरीर-शरीर एवं ग्रह-ग्रह में आपके इस वरदान की प्रार्थना करते रहेंगे।