हे प्रभु, हम जीव सदैव शरीर में होने वाली भ्रांतियों से बंधे रहते हैं, जिससे हम अज्ञान से घिरे रहते हैं। फलतः हमें भौतिक जगत में हमेशा कष्ट ही सुखद लगते हैं। हमारे उद्धार के लिए आपने यह अद्भुत अवतार लिया है। यह उन असीम कृपा की निशानी है जो आप हम पर करते हैं, जो इन क्लेशों में पड़े हुए हैं। ऐसे में आपके उन भक्तों की हम क्या बात करें, जिन पर आप हमेशा कृपा करते हैं।