नम: कमलकिञ्जल्कपिशङ्गामलवाससे ।
सर्वभूतनिवासाय नमोऽयुङ्क्ष्महि साक्षिणे ॥ २६ ॥
अनुवाद
हे प्रभु, आपके द्वारा धारण किया गया वस्त्र कमल पुष्प के केसर के समान पीले रंग का है, किंतु यह किसी भौतिक पदार्थ से नहीं बना है। आप प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में निवास करते हैं और सभी जीवों के सभी कार्यों के प्रत्यक्ष साक्षी हैं। हम आपको बार-बार श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं।