प्रजाविसर्ग आदिष्टा: पित्रा मामनुवर्तता ।
तत्र कन्यां वरारोहां तामुद्वहत मा चिरम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
चूंकि तुम सब मेरे कहने में रहते हो, इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम तुरंत उस सुंदर और गुणवती युवती से विवाह करो। अपने पिता की इच्छा के अनुसार तुम उसके साथ संतान उत्पन्न करो।