कण्डो: प्रम्लोचया लब्धा कन्या कमललोचना ।
तां चापविद्धां जगृहुर्भूरुहा नृपनन्दना: ॥ १३ ॥
अनुवाद
हे राजा प्राचीनबर्हिषत् के पुत्रों, प्रम्लोचा नाम की अप्सरा ने कण्डु ऋषि की कमल नेत्रों वाली कन्या को जंगली वृक्षों के बीच छोड़ दिया और फिर वह स्वर्गलोक को चली गई। वह कन्या कण्डु ऋषि और प्रम्लोचा नामक अप्सरा के मिलन से पैदा हुई थी।