यद्यूयं पितुरादेशमग्रहीष्ट मुदान्विता: ।
अथो व उशती कीर्तिर्लोकाननु भविष्यति ॥ ११ ॥
अनुवाद
क्योंकि तुम लोगों ने अपने दिल से खुशी-खुशी अपने पिता के आदेशों को मान्यता दी है और उन आदेशों का बहुत ईमानदारी से पालन किया है, इसलिए तुम्हारे आकर्षक गुण पूरे विश्व में सराहे जाएँगे।