ये तु मां रुद्रगीतेन सायं प्रात: समाहिता: ।
स्तुवन्त्यहं कामवरान्दास्ये प्रज्ञां च शोभनाम् ॥ १० ॥
अनुवाद
प्रातः और सायं शिवजी के द्वारा रचित स्तुति से मेरी प्रार्थना करने वाले भक्तों को मैं वरदान प्रदान करूँगा। इस प्रकार वे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के साथ-साथ सद्बुद्धि भी प्राप्त कर सकेंगे।