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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 29: नारद तथा राजा प्राचीनबर्हि के मध्य वार्तालाप
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श्लोक 1b
श्लोक
4.29.1b
भक्ति: कृष्णे दया जीवेष्वकुण्ठज्ञानमात्मनि ।
यदि स्यादात्मनो भूयादपवर्गस्तु संसृते: ॥ १ब ॥
अनुवाद
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यदि कोई प्राणी कृष्णभक्ति में विकसित होता है और दूसरों पर दयालु होता है, और यदि उसका आत्म-साक्षात्कार का आध्यात्मिक ज्ञान पूर्ण होता है, तो उसे तुरंत भौतिक अस्तित्व के बंधन से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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