कभी तुम खुद को पुरुष, कभी सती स्त्री और कभी नपुंसक मान लेते हो। यह सब शरीर की वजह से है, जो माया द्वारा पैदा हुआ है। यह माया मेरी शक्ति है और वास्तव में हम दोनों—तुम और मैं—पवित्र आध्यात्मिक पहचान हैं। अब तुम इसे समझने का प्रयास करो। मैं हमारी वास्तविक स्थिति बताने की कोशिश कर रहा हूँ।