पाँच दुकानें पाँचों कर्मेन्द्रियाँ हैं। वे पाँच अनादि तत्वों की संयुक्त शक्ति से अपना व्यापार चलाती हैं। इन सभी गतिविधियों के पीछे आत्मा काम कर रहा है। आत्मा पुरुष है और वही सच्चा भोक्ता है। लेकिन, अभी वह शरीर रूपी नगर के भीतर छिपा होने के कारण ज्ञानहीन है।