ब्राह्मण आगे बोला : हे मित्र, यद्यपि अभी तुम्हारा मेरे प्रति पहचान का भाव तुरंत नहीं जागा है, परंतु क्या तुम्हें याद नहीं है कि भूतकाल में तुम मेरे अत्यंत निकट के मित्र थे? दुर्भाग्य से तुमने मेरा साथ छोड़कर इस भौतिक जगत का भोग करने वाले का पद अपना लिया था।