ब्राह्मण उवाच
का त्वं कस्यासि को वायं शयानो यस्य शोचसि ।
जानासि किं सखायं मां येनाग्रे विचचर्थ ह ॥ ५२ ॥
अनुवाद
ब्राह्मण ने पूछा: तुम कौन हो? तुम किसकी पत्नी या पुत्री हो? यहाँ लेटा हुआ पुरुष कौन है? ऐसा लगता है कि तुम इस मृत शरीर के लिए विलाप कर रही हो। क्या तुम मुझे नहीं पहचानतीं? मैं तुम्हारा शाश्वत सखा हूँ। तुम्हें याद होगा कि पहले तुमने कई बार मुझसे परामर्श लिया है।