तस्यां प्रपीड्यमानायामभिमानी पुरञ्जन: ।
अवापोरुविधांस्तापान् कुटुम्बी ममताकुल: ॥ ५ ॥
अनुवाद
जब नगर इस प्रकार सैनिकों और कालकन्या से ख़तरे में पड़ गया, तो राजा पुरंजय, अपने परिवार के स्नेह में लीन हो जाने के कारण, यवनराजा और कालकन्या के आक्रमण के कारण मुसीबत में पड़ गए।