वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति
»
श्लोक 42
श्लोक
4.28.42
परे ब्रह्मणि चात्मानं परं ब्रह्म तथात्मनि ।
वीक्षमाणो विहायेक्षामस्मादुपरराम ह ॥ ४२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
इस प्रकार राजा मलयध्वज परमात्मा की उपस्थिति को अपने पास अनुभव कर सका और स्वयं आत्मा रूप में परमात्मा के पास बैठा हुआ देख सका। चूंकि दोनों एक साथ थे, अतः उनके अलग-अलग हितों की आवश्यकता नहीं थी। इस प्रकार उसने ऐसे कार्य करना बंद कर दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.