श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  4.28.41 
 
 
साक्षाद्भगवतोक्तेन गुरुणा हरिणा नृप ।
विशुद्धज्ञानदीपेन स्फुरता विश्वतोमुखम् ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार, राजा मलयध्वज को परम ज्ञान की प्राप्ति हुई, क्योंकि उनकी शुद्ध अवस्था में उन्हें साक्षात् भगवान् द्वारा उपदेश दिया गया था। ऐसे दिव्य ज्ञान की बदौलत, वह हर चीज़ को विभिन्न कोणों से समझ पाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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