स व्यापकतयात्मानं व्यतिरिक्ततयात्मनि ।
विद्वान् स्वप्न इवामर्शसाक्षिणं विरराम ह ॥ ४० ॥
अनुवाद
आत्मा और परमात्मा में भेद करके राजा मलयध्वज ने पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया। आत्मा एक स्थान पर सीमित रहती है, जबकि परमात्मा सर्वव्यापी है। उन्हें यह ज्ञान भी हो गया कि भौतिक शरीर आत्मा नहीं है, बल्कि आत्मा भौतिक शरीर की साक्षी है।