श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  4.28.31 
 
 
एकैकस्याभवत्तेषां राजन्नर्बुदमर्बुदम् ।
भोक्ष्यते यद्वंशधरैर्मही मन्वन्तरं परम् ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजा प्राचीनबर्हिषत्, मलयध्वज राजा के पुत्रों ने हज़ारों-हज़ारों पुत्रों को जन्म दिया और ये सब एक मनु की अवधि तक और उसके बाद भी सारी दुनिया का पालन करते रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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