श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  4.28.3 
 
 
कालकन्यापि बुभुजे पुरञ्जनपुरं बलात् ।
ययाभिभूत: पुरुष: सद्यो नि:सारतामियात् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  कालकन्या ने खतरनाक सैनिकों की सहायता से धीरे-धीरे पुरञ्जन की नगरी के समस्त निवासियों पर हमला करके उन्हें बेकार कर दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.