श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  4.28.28 
 
 
तामेव मनसा गृह्णन् बभूव प्रमदोत्तमा ।
अनन्तरं विदर्भस्य राजसिंहस्य वेश्मनि ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  अपनी पत्नी का स्मरण करते हुए राजा पुरञ्जन ने अपने शरीर का त्याग कर दिया, जिसके कारण अपने अगले जन्म में वे एक उच्च कुल की अत्यंत सुंदर स्त्री बनी। उन्होंने राजा विदर्भ के घर में राजकन्या रूप में अपना अगला जन्म लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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