वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
»
अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति
»
श्लोक 28
श्लोक
4.28.28
तामेव मनसा गृह्णन् बभूव प्रमदोत्तमा ।
अनन्तरं विदर्भस्य राजसिंहस्य वेश्मनि ॥ २८ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
अपनी पत्नी का स्मरण करते हुए राजा पुरञ्जन ने अपने शरीर का त्याग कर दिया, जिसके कारण अपने अगले जन्म में वे एक उच्च कुल की अत्यंत सुंदर स्त्री बनी। उन्होंने राजा विदर्भ के घर में राजकन्या रूप में अपना अगला जन्म लिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.