श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  4.28.23 
 
 
पशुवद्यवनैरेष नीयमान: स्वकं क्षयम् ।
अन्वद्रवन्ननुपथा: शोचन्तो भृशमातुरा: ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  जब यवन लोग राजा पुरञ्जन को पशु के समान बाँधकर उनके स्थान ले जाने लगे तो राजा के अनुयायी अत्यंत शोकाकुल हो गए। विलाप करते हुए उन्हें भी राजा के साथ जाना पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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