यवनोपरुद्धायतनो ग्रस्तायां कालकन्यया ।
पुर्यां प्रज्वारसंसृष्ट: पुरपालोऽन्वतप्यत ॥ १३ ॥
अनुवाद
जब नगर के रक्षक सर्प ने देखा कि नागरिकों पर काल-कन्या प्रहार कर रही है और उसने यह भी देखा कि यवनों ने आक्रमण कर उसके घर में आग लगा दी तो वह अत्यधिक उत्तेजित हो गया।