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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 28: अगले जन्म में पुरञ्जन को स्त्री-योनि की प्राप्ति
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श्लोक 12
श्लोक
4.28.12
तस्यां सन्दह्यमानायां सपौर: सपरिच्छद: ।
कौटुम्बिक: कुटुम्बिन्या उपातप्यत सान्वय: ॥ १२ ॥
अनुवाद
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जब पूरे शहर में आग लग गई, तो सारे नागरिक और राजा के नौकर, उसके परिवार के सदस्य, बेटे, पोते, पत्नियाँ और दूसरे रिश्तेदार आग की चपेट में आ गये। इस तरह राजा पुरञ्जन बहुत दुखी हो गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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