तीर्थेषु प्रतिदृष्टेषु राजा मेध्यान् पशून् वने ।
यावदर्थमलं लुब्धो हन्यादिति नियम्यते ॥ ६ ॥
अनुवाद
यदि राजा मांस खाने का अत्यधिक इच्छुक हो तो वह यज्ञ के लिए शास्त्रों में दिये गये आदेशों के अनुसार वन जाकर कुछ वध्य पशुओं का वध कर सकता है । किसी को भी बिना किसी कारण या बिना रोक-टोक के पशुओं को मारने की अनुमति नहीं है । वेद उन मूर्ख पुरुषों द्वारा अंधाधुंध पशुवध को नियंत्रित करते हैं, जो तमोगुण और अविद्या से प्रभावित रहते हैं।