तस्मिन्दधे दममहं तव वीरपत्नि
योऽन्यत्र भूसुरकुलात्कृतकिल्बिषस्तम् ।
पश्ये न वीतभयमुन्मुदितं त्रिलोक्या-
मन्यत्र वै मुररिपोरितरत्र दासात् ॥ २४ ॥
अनुवाद
वीरांगना, मुझे बताओ कि क्या किसी ने तुम्हें अपमानित किया है? मैं ऐसे व्यक्ति को, यदि वह ब्राह्मण कुल का नहीं है, दंड देने को तैयार हूँ। मुरारिपु (श्रीकृष्ण) के सेवक के अतिरिक्त तीनों लोकों में किसी को भी मैं क्षमा नहीं करूँगा। तुम्हें अपमानित करके कोई भी स्वच्छंदतापूर्वक विचरण नहीं कर सकता, क्योंकि मैं उसे दंड देने के लिए तैयार हूँ।