श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 26: राजा पुरञ्जन का आखेट के लिए जाना और रानी का क्रुद्ध  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.26.16 
 
 
क्‍व वर्तते सा ललना मज्जन्तं व्यसनार्णवे ।
या मामुद्धरते प्रज्ञां दीपयन्ती पदे पदे ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  कृपया मुझे उस सुंदर स्त्री के बारे में बताएँ जो मुझे हमेशा ख़तरे के समुद्र में डूबने से बचाती है। वह मुझे हर कदम पर बुद्धिमान बनाकर संकट से उबारती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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