श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति  »  अध्याय 26: राजा पुरञ्जन का आखेट के लिए जाना और रानी का क्रुद्ध  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  4.26.14 
 
 
अन्त:पुरस्त्रियोऽपृच्छद्विमना इव वेदिषत् ।
अपि व: कुशलं रामा: सेश्वरीणां यथा पुरा ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  उस समय राजा पुरञ्जन कुछ चिंतित हुए और उन्होंने रनिवास की स्त्रियों से पूछा: हे सुंदरियो! तुम सब मेरी रानी सहित पहले की तरह प्रसन्न तो हो?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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