जब रानी मदिरा पीती थी, तब राजा पुरञ्जन भी मदिरापान में लीन रहते थे। जब रानी भोजन करती थीं, तब वे भी उनके साथ भोजन करते थे। जब रानी कुछ चबाती थीं, तब वे भी साथ-साथ चबाते थे। जब रानी गाती थीं, तब राजा भी गाते थे। इसी प्रकार, जब रानी रोती थीं, तब वे भी रोते थे और जब रानी हँसती थीं, तब वे भी हँसते थे। जब रानी बेसिर पैर की बातें करती थीं, तब वे भी उसी तरह बातें करते थे। जब रानी चलती थीं, तब वे उनके पीछे-पीछे चलते थे। जब रानी शांति से खड़ी होती थीं, तब वे भी खड़े रहते थे। जब रानी बिस्तर पर लेट जाती थीं, तब वे भी उनके साथ लेट जाते थे। जब रानी बैठती थीं, तब वे भी बैठ जाते थे। जब रानी कुछ सुनती थीं, तब वे भी वही सुनते थे। जब रानी कोई चीज देखती थीं, तब वे भी उसे देखते थे। जब रानी कुछ सूँघती थीं, तब वे भी उसे सूँघते थे। जब रानी कुछ छूती थीं, तब वे भी उसे छूते थे। जब उनकी प्रिय रानी शोक में डूब जाती थीं, तब बेचारे राजा भी उनके साथ शोक में डूब जाते थे। इसी तरह जब रानी को सुख मिलता था, तब वे भी उसका भोग करते थे। जब रानी संतुष्ट हो जाती थीं, तब वे भी संतुष्टि का अनुभव करते थे।