का नाम वीर विख्यातं वदान्यं प्रियदर्शनम् ।
न वृणीत प्रियं प्राप्तं मादृशी त्वादृशं पतिम् ॥ ४१ ॥
अनुवाद
हे वीर पुरुष, इस धरा पर ऐसी कौन सी नारी होगी जो तुम जैसे सर्वश्रेष्ठ पति को पाकर भी नकार देगी? तुम इतने ख्यातिप्राप्त, इतने उदार, इतने मनोहर और सुलभ हो।