नारद ने आगे कहा : हे राजन्, जब राजा उस सुन्दरी का स्पर्श करने तथा उसका भोग करने के लिए अत्यधिक मोहित एवं अधीर हो गया, तब वह युवती भी राजा के शब्दों से आकर्षित हुई और हँसते हुए उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। अब तक उस युवती का राजा के प्रति आकर्षण जगजाहिर हो चुका था।