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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 4: चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
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अध्याय 25: राजा पुरञ्जन के गुणों का वर्णन
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श्लोक 23
श्लोक
4.25.23
पिशङ्गनीवीं सुश्रोणीं श्यामां कनकमेखलाम् ।
पद्भ्यां क्वणद्भ्यां चलन्तीं नूपुरैर्देवतामिव ॥ २३ ॥
अनुवाद
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महिला की कमर और कूल्हे अतिसुंदर थे। वह एक पीली साड़ी और सुनहरी करधनी पहने थी। उसकी टहलनी के साथ-साथ उसके पायल बज रहे थे। वह स्वर्ग की एक अप्सरा की तरह लग रही थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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