यदृच्छयागतां तत्र ददर्श प्रमदोत्तमाम् ।
भृत्यैर्दशभिरायान्तीमेकैकशतनायकै: ॥ २० ॥
अनुवाद
उस अद्भुत उद्यान में भ्रमण करते हुए राजा पुरञ्जन की नज़र अचानक एक बेहद खूबसूरत महिला पर पड़ी जो वहाँ बेफिक्री से टहल रही थी। उसके साथ दस नौकर थे और हर नौकर के साथ सैकड़ों पत्नियाँ थीं।