ऐसे वातावरण में जंगल के जानवर भी ऋषियों की तरह अहिंसक और ईर्ष्या से रहित हो गए थे। इसलिए, वे किसी पर हमला नहीं करते थे। इन सबसे ऊपर कोयलों की कूक थी। उस रास्ते से गुजरने वाले किसी भी यात्री को मानो उस सुंदर बगीचे में विश्राम करने का निमंत्रण दिया जा रहा हो।