पुर्यास्तु बाह्योपवने दिव्यद्रुमलताकुले ।
नदद्विहङ्गालिकुलकोलाहलजलाशये ॥ १७ ॥
अनुवाद
उस नगर के बाहरी इलाके में एक सुंदर झील के चारों ओर कई सुंदर पेड़ और लताएँ थीं। उस झील के आसपास पक्षियों और भौरों के झुंड थे, जो लगातार चहचहाते और गुंजार करते रहते थे।